गए दिनों की यादें थीं
बिन बादल बरसातें थीं
सूना सूना आंगन था
गीली गीली ऑंखें थीं
एक मेरा दिल तनहा था
तरह तरह की बातें थीं
कभी कभी गठबंधन था
कभी कभी सरकारें थीं
पेट मेरा जब 'फुलफिल' था
चारो ओर बहारें थीं
पाखंडों का बिल्डर था
मखमल की दीवारें थीं
तेरे पास ज़माना था
मेरे पास किताबें थीं
बिन बादल बरसातें थीं
सूना सूना आंगन था
गीली गीली ऑंखें थीं
एक मेरा दिल तनहा था
तरह तरह की बातें थीं
कभी कभी गठबंधन था
कभी कभी सरकारें थीं
पेट मेरा जब 'फुलफिल' था
चारो ओर बहारें थीं
पाखंडों का बिल्डर था
मखमल की दीवारें थीं
तेरे पास ज़माना था
मेरे पास किताबें थीं
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