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सांवली लड़कियां
क्या तुमने देखा है उषाकाल के आकाश को? क्या खेतो में पानी पटाने पर मिट्टी का रंग देखा है? शतरंज की मुहरें भी बराबरी का हक़ पा जाती हैं जम्बू...
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‘‘स्वच्छन्द काव्य भाव-भावित होता है, बुद्धि-बोधित नहीं। इसलिए आंतरिकता उसका सर्वोपरि गुण है। आंतरिकता की इस प्रवृति के कारण स्वच्छन्द का...
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देखा विवाह आमूल नवल, तुझ पर शुभ पडा़ कलश का जल। देखती मुझे तू हँसी मन्द, होंठो में बिजली फँसी स्पन्द उर में भर झूली छवि सुन्दर, प्रिय क...
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हमारे सफ़र का तो कोई हमसफ़र भी नहीं हमारे रास्तों का कोई रहगुज़र भी नहीं / हमें तो फ़िक्र है जनाब कल की रोटी की वो रात हादसे ...
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