Monday, July 30, 2018

परकाया

डॉ कलाम!
अच्छा हुआ आप चले गए।
अच्छा हुआ आप हिन्दू ह्रदय सम्राटों के पैरों में बैठ गए
अच्छा हुआ आप साईँ बाबा और शंकराचार्यों के आशीर्वाद के ओट तले रहे
वरना अगर आप गए होते और किसी राह
तो कहलाए होते मुल्ला कलाम।
लगते आप पर कटुवा होने के कड़वे आरोप
और अरिंदम चौधरी टाइप के लोग नहीं बुलाते आपको।
डॉ कलाम!
आप वोट बैंक थे भले आप न मानें या न जानें।
भगत सिंह !
इस देश में तुम्हारी फ़ोटो लगाकर
तुम्हारे ज़मीर बेच देने वालों के बीच
कलाम और भला कैसे जीवित रहते?
मनुस्मृति के इस देश में
तुम गीता न बांचते तो कैसे जीवित रहते ?
त्रिशूल, फरसा, गदा, बरछी और भाला वाले भगवानों के देश में
मिसाइल बनाकर ही वैज्ञानिक हुआ जा सकता है कलाम!
माफ़ करना कलाम
तुम अगर वोट बैंक के प्रतीक न होते तो
तुम्हे भारत रत्न नहीं कोई चार्जशीट मिलती
कलाम!
तुमने देश के लिए बहुत कुछ किया
लेकिन देश को राष्ट्र बना दिया जाता है यहाँ
मुल्क़ और वतन की बात मत करो
वरना उठा कर फेंक दिए जाओगे धनुषकोटि


-30 जुलाई 2015
-नीलाम्बुज।
(तर्कपूर्ण  असहमतियों का विशेष स्वागत है)

Tuesday, July 24, 2018

रूह में अपनी आ जाने दे

रूह में अपनी आ जाने दे
ख़ुद को मुझ पर छा जाने दे

तेरी नज़रें दरिया दरिया
कश्ती बन लहरा जाने दे

इश्क़, तसव्वुर सब अफ़साने
बस इक बार सुना जाने दे

मैं तुझको तो क्या समझूँगा
ख़ुद को अभी भुला जाने दे

चाहा था कहना कुछ तुमसे 
समझा ना तूने , जाने दे ।

ज़ीस्त के दर्द से बेदार हुए

  ज़ीस्त के दर्द से बेदार हुए इस तरह हम भी समझदार हुए زیست کے درد سے بیدار ہوئے اس طرح ہم بھی سمجھدار ہوئے सच कहा तो कोई नहीं माना झूठ बोला ...