ज़ीस्त के दर्द से बेदार हुए
सच कहा तो कोई नहीं माना
झूठ बोला , सभी गुलज़ार हुए
سچ کہا تو کوئی نہیں مانا
جھوٹ بولا سبھی گلزار ہوئے
थे तो बेज़ार पर तबस्सुम को
लब पे रखा व आबदार हुए
تھے تو بیزار پر تبسم کو
لب پہ رکھا و آبدار ہوئے
बज़्म में खूब वाह-वाह मिली
अपनी नज़रों में शर्मसार हुए
بزم میں خوب واه واہ ملی
اپنی نظروں میں شرمسار ہوئے
इब्ने-मरियम* न कोई हमको कहे
अगरचे** हम भी संगसार*** हुए।
ابن مریم ن کوئی ہمکو کہے
اگرچہ ہم بھی سنگسار ہوئے
इश्क़ ने जीत ली दुनिया सारी
लाव लश्कर तेरे बेकार हुए।
عشق نے جیت لی دنیا ساری
لاو لشکر تیرے بیکار ہوئے
*=मरियम की संतान(हज़रत ईसा)
**=यद्यपि
***=घायल( पत्थरों की मार से)