Thursday, July 22, 2010
Monday, July 19, 2010
उंगलियाँ बन गयीं जुबां अब तो...
उंगलियाँ बन गयीं जुबां अब तो ,
बेकली हो चली रवां अब तो
ये बहारें भी जिनसे रश्क करें
ऐसी आयी है ये खिज़ां अब तो
सच कहीं दू......र जा के बैठ गया
इतने हैं झूठ दर्मयाँ अब तो
हाल किससे कहा करे कोई
पत्ता, बूटा न गुलिस्ताँ अब तो
तुम तो जज़्बात ले के बैठ गए
वक़्त होगा ही रायगाँ अब तो
बात कुछ कायदे की की जाए
कर चुके उनको परेशां अब तो
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