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सांवली लड़कियां
क्या तुमने देखा है उषाकाल के आकाश को? क्या खेतो में पानी पटाने पर मिट्टी का रंग देखा है? शतरंज की मुहरें भी बराबरी का हक़ पा जाती हैं जम्बू...
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‘‘स्वच्छन्द काव्य भाव-भावित होता है, बुद्धि-बोधित नहीं। इसलिए आंतरिकता उसका सर्वोपरि गुण है। आंतरिकता की इस प्रवृति के कारण स्वच्छन्द का...
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देखा विवाह आमूल नवल, तुझ पर शुभ पडा़ कलश का जल। देखती मुझे तू हँसी मन्द, होंठो में बिजली फँसी स्पन्द उर में भर झूली छवि सुन्दर, प्रिय क...
दिल की बातें करनी है
ReplyDeleteबस ये कहो सुनाएँ कहाँ
....yehin sunate rahiye. isase behtar jagah kya hogi
(bahut khoob..shubhkamnayen)
बहुत सुन्दर नीलाम्बुज..
ReplyDeleteछोटी बहर की अद्भुत सुन्दर ग़ज़ल.. और उससे भी बेहतर की बातें तुम्हारी हैं पर अपनी सी लगती हैं ..
समर
सवाल हैं या सवालों की लड़ियाँ हैं,...?
ReplyDeleteवैसे सवाल बेहतरीन हैं....
अकबर, नासिर जैसा फन ना हो धुन ना हो तो फर्क क्या पड़ता है. शायर की अपनी खुद की भी तो एक धुन है वही सुनाये ना... हमें तो यही भाषा समझ में आती है...
कोयल गर अब भी सवाल पूछती उपस्थित है तो फिर किसी दर्द और इश्क की जरुर भी नहीं है... लिखने के लिए..
रुलायेंगे किसलिए ? रुलाने के बजाये हसीं वाले गीत लिखिए ना...
खुसरो, मीर, कबीर, नजीर... ये गुजरे ज़माने के शायर..हमें तो अपने दिल की बातें सुनाने के लिए अपने ज़माने का कोई शायर चाहिए.....
फिर सुनते जाइये ना...