जब पहली बार
बैठा था वो
'पिज्जा हट' में
तो उसे याद आई थी
चूल्हे की अधजली रोटी,
याद आई थी उसे
अपनी टपकती हुई झोपडी
जब लिफ्ट से उसने
पच्चीसवें माले पर कदम रखा था,
बूढ़े बॉस के चेहरे की
लालिमा की तुलना
उसने जवान भाई के
मुरझाये हुए चेहरे से की थी,
शहर की चमचमाती सड़कों में
उसे रह रह कर
गाँव की गड्ढे वाली कच्ची सड़क
याद आई थी,
उसे जब पहली बार मिला
कॉर्पोरेट कंपनी से
'पेमेंट'
का चेक
तब उसे कुछ याद नहीं रहा...
अब वो खुश है
!
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