Saturday, May 23, 2020

परिंदे जब भी पर तोला करेंगे

परिंदे जब भी पर तोला करेंगे
दरीचे ख़्वाब के खोला करेंगे
अभी पूजा-नमाज़ें कर रहे हैं
ज़हर हम बाद में घोला करेंगे
जो अश्कों को बदल कर खून बेचें
वही पानी को कल 'कोला' करेंगे
अभी गुस्से का धूँआ उठ रहा है
बग़ावत का इसे शोला करेंगे
"हमें हक़ के लिए लड़ना पड़ा था"
नई पीढ़ी से हम बोला करेंगे

No comments:

Post a Comment

समकालीन जनमत में कविताएँ

 कुछ कविताएँ समकालीन जनमत पत्रिका के पोर्टल पर प्रकाशित हुई थीं। आप इस लिंक के ज़रिये उन्हें पढ़ सकते हैं।  https://samkaleenjanmat.in/poems...