जब दिल में उठें वलवले तब चाय पीजिए
जब मन करे कि कुछ न करें ,चाय पीजिए।
पूरब में हों तो नींबू वाली चाय पीजिए
पच्छिम में हों तो दूध वाली चाय पीजिए
उत्तर में भरे ग्लास वाली चाय पीजिए
दक्कन में यूं कॉफी के साथ चाय पीजिए
बंगाली हैं मोशाय तो खा जाइए उसे
गुजराती हैं तो फूंक कर रसपान कीजिए
राष्ट्रीय एकता है यही चाय पीजिए।
क्रॉकरी में पिएं आप फ़क़त राष्ट्रवादी चाय
'चीनी' मिला के पीजिए तो देशद्रोही चाय
गर ढारिये पलेट में तो लोकजीवी चाय
गोष्ठी में अगर पीजिए तो बुद्धिजीवी चाय
पड़ जाए पिलानी तो एक कप ही बहुत है
जो मुफ्त मिले बाल्टी भर चाय पीजिए।
सर्दी में चाय पीजिए कंबल को ओढ़कर
गर्मी में चाय पीजिए हर बांध तोड़कर
बरसात हो तो साथ पकौड़ी के पीजिए
बारात हो तो साथ कचौड़ी के पीजिए
मौसम की कोई टोक नहीं रोक नहीं है
मिल जाए कोई यार तो बस चाय पीजिए।
ऑडी में बैठकर के उसे आइस टी कहें
बहुमंजिला इमारतों में ग्रीन टी कहें
करते हैं अगर डायटिंग तो भी इसे पिएं
राइटिंग करें या फाइटिंग हरगिज़ इसे पिएं
इंसानियत का खून पीना हो गया बहुत
इंसानियत के नाम आप चाय पीजिए।
नीलांबुज सरोज
21 मई, 2025
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस
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