खूब दिलकश है ये अन्दाज बहुत,
खामुशी कह रही है राज बहुत
उनको भी सू-ए-मैकदा देखा
जो कि बनते थे पाकबाज़ बहुत
अभी कुछ मर तो नहीं जायेंगे
गो तबियत से हैं नासाज़ बहुत
जहां में जाविदाँ* रखते हैं रकीब
मत करो दोस्तों पे नाज़ बहुत
अश्क, उम्मीद, बेवफाई, प्यार
हैं अभी ज़िन्दगी के साज़ बहुत
परिंदों और इंतज़ार करो
अभी छोटी है ये परवाज़**बहुत
*जाँविदा =अमर
**परवाज़=उड़ान
अच्छी गजल लिखे हो ..
ReplyDeleteमोहक बात यह है कि नए शब्द-दल रच देते हो , वह भी उर्दू की लय में ..
सुन्दर ..
बहुत सुन्दर गलज है। बधाई स्वीकारें।
ReplyDeletedhanyawaad amrendra sir aur paramjeet ji.
ReplyDeleteयह दिलचस्प है नीलाम्बुज भाई.
ReplyDeleteविशेषतः "परिंदों और इंतज़ार करो
अभी छोटी है ये परवाज़**बहुत"