Thursday, April 22, 2010

खूब दिलकश है ये अन्दाज बहुत


खूब दिलकश  है ये अन्दाज बहुत,
खामुशी कह रही है राज बहुत

उनको भी सू-ए-मैकदा देखा 
जो कि बनते थे पाकबाज़ बहुत 

अभी कुछ मर तो नहीं जायेंगे 
गो तबियत से हैं नासाज़ बहुत 

जहां में जाविदाँ* रखते हैं रकीब 
मत करो दोस्तों पे नाज़ बहुत 

अश्क, उम्मीद, बेवफाई, प्यार 
हैं अभी ज़िन्दगी के साज़ बहुत 

परिंदों और इंतज़ार करो 
अभी छोटी है ये परवाज़**बहुत 

*जाँविदा =अमर 
**परवाज़=उड़ान 



4 comments:

  1. अच्छी गजल लिखे हो ..
    मोहक बात यह है कि नए शब्द-दल रच देते हो , वह भी उर्दू की लय में ..
    सुन्दर ..

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  2. बहुत सुन्दर गलज है। बधाई स्वीकारें।

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  3. dhanyawaad amrendra sir aur paramjeet ji.

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  4. यह दिलचस्प है नीलाम्बुज भाई.
    विशेषतः "परिंदों और इंतज़ार करो
    अभी छोटी है ये परवाज़**बहुत"

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