कुछ कविताएँ समकालीन जनमत पत्रिका के पोर्टल पर प्रकाशित हुई थीं। आप इस लिंक के ज़रिये उन्हें पढ़ सकते हैं।
https://samkaleenjanmat.in/poems-by-nilambuj-saroj/?fbclid=IwY2xjawN7rhtleHRuA2FlbQIxMQBzcnRjBmFwcF9pZBAyMjIwMzkxNzg4MjAwODkyAAEeVwTH135Surw2IqZbnhOrzDVrQX4TZmtgUBbwWF6YWJZZPpbX3A-QQuZdCfQ_aem_f8OQWZW2ozWniZMbl9b28A
Saturday, November 8, 2025
समकालीन जनमत में कविताएँ
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समकालीन जनमत में कविताएँ
कुछ कविताएँ समकालीन जनमत पत्रिका के पोर्टल पर प्रकाशित हुई थीं। आप इस लिंक के ज़रिये उन्हें पढ़ सकते हैं। https://samkaleenjanmat.in/poems...
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‘‘स्वच्छन्द काव्य भाव-भावित होता है, बुद्धि-बोधित नहीं। इसलिए आंतरिकता उसका सर्वोपरि गुण है। आंतरिकता की इस प्रवृति के कारण स्वच्छन्द का...
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देखा विवाह आमूल नवल, तुझ पर शुभ पडा़ कलश का जल। देखती मुझे तू हँसी मन्द, होंठो में बिजली फँसी स्पन्द उर में भर झूली छवि सुन्दर, प्रिय क...
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क्या तुमने देखा है उषाकाल के आकाश को? क्या खेतो में पानी पटाने पर मिट्टी का रंग देखा है? शतरंज की मुहरें भी जहां पा जाती हैं बराबरी का हक़ ...
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