इश्क वालों में ये किस्सा ज़रा मशहूर रहा
जो दिल के पास रहा वो ही दूर दूर रहा.
जिसे समझे थे उनके प्यार की निशानी हम
वही लम्हा हमारी याद में नासूर रहा
हमें ग़ुरबत से ही अपनी कभी फुर्सत ना मिली
वो था अमीर, इसी बात में मगरूर रहा
इश्क में हम तो खैर हो गए फना, वो भी
ज़रा ज़रा सा परेशान तो ज़रूर रहा
खडा मकतल में, मेरी लाश पे , ले के खंज़र
और कहता "बताओ क्या मेरा कुसूर रहा"
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